मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

बौद्ध दर्शन

बुद्ध ने कहा अप्प दीपो भव इन छोटे शब्दों का बहुत बड़ा मतलब निकलता है हमें इन शब्दों  से अपने जीवन जीने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बुद्ध  जैसा कोई दार्शनिक विचार वाला व्यक्ति मनुष्य जाति को सर्वांगीण विकास और उसके मूल कर्तव्य को समझ कर जीवन निर्वाह करने की प्रेरणा देता है मेरा मानना है जब भी मनुष्य जाति पर किसी भी प्रकार का कोई संकट आता है तो उसका निष्कर्ष बौद्ध दर्शन के माध्यम से निकाला जा सकता है बुद्ध ही मनुष्य जाति को बचा सकते हैं पूरे विश्व की मानव जाति के निर्माण में सहयोग करते हैं और उनका निर्माण करते हैं हम स्वयं के दीपक बनेंगे तभी हम दूसरों को प्रकाशमान कर सकते हैं 

सोमवार, 27 सितंबर 2010

कबीर सहाब


मन फूला फूला फिरे जगत में केसा नाता रे ॥ उंचा महल अजब रंग बगला,साई की सेज वहां लगी फूलन की ॥
माता कहे यह पुत्र हमारा ,बहिन कहे वीर मेरा । तन मन धन सब अर्पन कर वह, सुरत सम्हार परू पइयॉ सजन की
भाई कहै यह भुजा हमारी ,नारि कहै नर मेंरा ॥ कहै कबीर निर्भय होय हंसा, कुजी बतादयो ताला खुलन की ॥
पेट पकरि के माता रोवै ,बाहि पकरि के भाई ।
लपट झपटि के तिरिया रौवे ,हंस अकेला जाई ॥ ॥ ंं५॥
जब लग जीवै माता रोवै ,बहिन रोवै दस मासा । हमन है इद्गक मस्ताना ,हमन को होद्गिायारी क्या ।
तेरह दिन तक तिरिया रौवे फेर करे धर बासा ॥ रहे आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ॥
चार गजी चरगजी मंगाया ,चढा काठ का धोडी । जो बिछुडे है पियारे से , भटकते दर बदर फिरते
चारो कोने आग लगाया फूक दियों जस होरी ॥ हमारा यार है हम में हमन को इतिजारी क्या ॥
हाड जरै जस लाकडी को ,केस जरै जस घासा। खलक सब नाम अपने को हमने दुनिया से यारी क्या ।
सोने ऐसी काया जरि गई ,कोई न आयो पासा ॥ हमन गुर नाम साचा है हमन दुनिया से यारी क्या ।
घर कर तिरिया ढूढन लागी, ढूढि फिरी चहु देखा । न पल बिछुडे पिया हम से,न हम बिछुडे पियारे से
कहे कबीर सुनो भाई साधो ,छोडो जग की आद्गाा । उन्ही से नेह लागी है, हमन को बेकरारी क्या ॥

॥३॥ कबीर इद्गक का माता दुई को दूर कर दिल से ।
मानत नही मन मोरा साधो , मानत मन मोरा रे॥ जो चलना राह नाजुक है हमन सिर बोझ भरी क्या ॥
बार बार मे कहि समुझावे ,जग में जीवन थोरा रे ।
या काया को गर्भ न कीजै क्या सावर क्या गोरे रे ॥
बिना भक्ति तन काम न आवे, कोटि सुगधि चभोरा रे ।
या माया जनि देखि रे भुलौ ,क्या हाथी क्या घोडा रे ॥

रविवार, 7 मार्च 2010

शाक्य गणराज्य

बुद्ध गौतम गोत्र के थे और उनका सत्य नाम सिद्धार्थ गौतम था । उनका जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी में हुआ था। लुंबिनी के ठीक स्थान पर, जो दक्षिण मध्य नेपाल में है, महाराज अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बुद्ध के जन्म की स्मृति में एक स्तम्भ बनावाया था।

आज कल लोगो को पता चलजाता कि कोन सही हे कोन गलत


आज कल लोगो को पता चलजाता कि कोन सही हे कोन गलत

मेरा मानना हे कि लोगो कि सोच ओर विचार उनकी समज का नतीजा हे बास्त्व मे लोग गलत नही सोचते हे



આજ કલ લોગો કો પતા ચલજાતા કિ કોન સહી હે કોન ગલત




મેરા માનના હે કિ લોગો કિ સોચ ઓર વિચાર ઉનકી સમજ કા નતીજા હે બાસ્ત્વ મે લોગ ગલત નહી સોચતે હે
ਆਪ ਕਾ ਨਰੇਸ ਸਾਕ੍ਯ




ਆਜ ਕਲ ਲੋਗੋ ਕੋ ਪਤਾ ਚਲਜਾਤਾ ਕਿ ਕੋਨ ਸਹੀ ਹੇ ਕੋਨ ਗਲਤ



મેરા માનના હે કિ લોગો કિ સોચ ઓર વિચાર ઉનકી સમજ કા નતીજા હે બાસ્ત્વ મે લોગ ગલત નહી સોચતે હે



આપ કા નરેસ સાક્ય

गुरुवार, 4 जून 2009

The Grat Buddha

मंगलवार, 26 मई 2009

BUDDHA

गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों में संतुलन की धारणा को महत्व दिया। उन्होंने इस बात पर बहुत बल दिया कि योग की अति अर्थात तपस्या की अति से भी बचना जरूरी है। संस्कार सुप्त हो जाते हैं। परिणामस्वरूप व्यक्ति के दिल-दिमाग पर विनाश डेरा डाल देता है